भूमिका
22 अप्रैल 2025 को पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने भारत को झकझोर दिया। हमले में निर्दोष पर्यटकों की मौत और आतंकी संगठन की पाकिस्तान से मिलीभगत के सबूत मिलने के बाद भारत की जनता, मीडिया और राजनीति में आक्रोश की लहर दौड़ गई।
सरकार ने चेतावनी दी — "यदि आतंक के सरगनाओं को सौंपा नहीं गया, तो हम अपने तरीके से जवाब देंगे।"
युद्ध की शुरुआत
1 मई 2025 की रात — भारतीय वायुसेना ने 'ऑपरेशन शौर्य' के तहत पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में आतंकी शिविरों पर हमला किया।
जवाब में पाकिस्तान ने सीमा पर गोलीबारी और मिसाइल हमले शुरू कर दिए।
देखते ही देखते युद्ध 4 मोर्चों पर फैल गया:
कश्मीर सेक्टर
राजस्थान सीमा
पंजाब बॉर्डर
अरब सागर में नौसैनिक टकराव
युद्ध का मध्य चरण
दोनों देशों ने अपने वायुसेना और मिसाइल सिस्टम का खुलकर इस्तेमाल किया।
भारत ने 30 से ज्यादा आतंकी शिविर और पाकिस्तानी सैन्य ठिकाने तबाह किए।
पाकिस्तान ने भी कई सीमा चौकियों और सैन्य अड्डों पर हमला किया।
लाखों लोग अपने घर छोड़कर शरणार्थी शिविरों में आ गए।
अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें आसमान छू गईं।
परमाणु खतरे की घंटी
7 मई 2025 — पाकिस्तान ने टैक्टिकल न्यूक्लियर मिसाइल तैनात की।
भारत ने भी परमाणु हथियार हाई अलर्ट पर रख दिए।
पूरी दुनिया कांप उठी। अमेरिका, रूस, चीन और यूएन ने तुरंत हस्तक्षेप कर युद्धविराम की अपील की।
युद्ध का अंत
10 मई 2025 — दोनों देशों ने भारी दबाव के बीच संयुक्त राष्ट्र की मध्यस्थता में युद्ध विराम पर सहमति दी।
लेकिन तब तक:
1 लाख से ज़्यादा सैनिक और नागरिक मारे जा चुके थे।
पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था चरमरा गई।
भारत की भी आर्थिक और सामाजिक स्थिति पर गहरा असर पड़ा।
युद्ध के बाद की स्थिति
पाकिस्तान में सरकारी तख्तापलट हुआ।
कश्मीर में अंतरराष्ट्रीय पर्यवेक्षक तैनात किए गए।
दोनों देशों की जनता युद्ध की विभीषिका से टूटी हुई थी।
भारत में राष्ट्रीय एकता की भावना मजबूत हुई, लेकिन युद्ध से हुए नुकसान ने विकास की रफ्तार धीमी कर दी।
निष्कर्ष
ये काल्पनिक कहानी हमें यही सिखाती है कि
युद्ध में कोई जीतता नहीं — हार हमेशा इंसानियत की होती है।
सत्ता, राजनीति और बदले की आग में आम आदमी पिसता है।
हर समस्या का हल संवाद, समझौते और सहयोग में ही है।
DGMO का मतलब है Director General of Military Operations। ये भारतीय सेना के ऑपरेशन्स शाखा (Military Operations Directorate) के प्रमुख होते हैं। DGMO भारतीय सेना के उन सबसे अहम अधिकारियों में से एक हैं जो देश की सीमाओं पर सैन्य गतिविधियों और ऑपरेशन्स की योजना बनाते हैं, उनका नियंत्रण करते हैं और निगरानी रखते हैं।
WhatsApp: +91 9914436629 | Name: Headline Hub हिन्दी DGMO के मुख्य कार्य: LOC (Line of Control) और अंतरराष्ट्रीय सीमा पर सेना की तैनाती और स्थिति की निगरानी। देश के अंदर और बाहर सैन्य ऑपरेशन्स की रणनीति तैयार करना। युद्ध और आपातकालीन स्थिति में सेना की तैयारियों का नेतृत्व करना। अन्य देशों के DGMO से संपर्क करना। जैसे भारत और पाकिस्तान के DGMO हॉटलाइन पर बातचीत करते रहते हैं, खासकर जब सीमा पर तनाव होता है। DGMO का रैंक:आमतौर पर DGMO लेफ्टिनेंट जनरल (Lieutenant General) रैंक के अधिकारी होते हैं। भारतीय सेना में DGMO का कार्यालय: इंटीग्रेटेड हेडक्वार्टर ऑफ डिफेंस स्टाफ (IHQ of MOD) में होता है, जो नई दिल्ली में है। DGMO (Director General of Military Operations) का इतिहास भारतीय सेना में DGMO पद की स्थापना 1947 में भारत की आज़ादी के बाद की गई थी, जब भारत ने अपनी सेना के स्वतंत्र सैन्य कमान और संरचना विकसित करनी शुरू की। पहले ये जिम्मेदारी ब्रिटिश अफसर संभालते थे, लेकिन धीरे-धीरे भारतीय अफसरों को ये जिम्मेदारियां दी गईं। 1950 के दशक में भारतीय सेना की कमान पूरी तरह भ...
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