परमाणु हमला होने पर
1. फौरन सुरक्षित जगह तलाशें
अगर बाहर हैं तो तुरंत किसी पक्की बिल्डिंग या अंडरग्राउंड (तहखाना, बेसमेंट) में चले जाएं।
घर में हैं तो बीच का कमरा चुनें जिसमें खिड़कियां न हों।
2. धूल और विकिरण (Radiation) से बचें
खिड़कियां, दरवाज़े और वेंटिलेशन के रास्ते बंद कर दें।
गीले कपड़े से मुंह-नाक ढक लें।
त्वचा को पूरी तरह कपड़ों से ढक लें।
3. ब्लास्ट के बाद बाहर न जाएं
परमाणु विस्फोट के बाद हवा में ज़हरीली विकिरण (Radiation) रहती है।
कम से कम 24-48 घंटे तक सुरक्षित जगह में ही रहें।
4. खाने-पीने का ध्यान रखें
पैक्ड और बंद डिब्बों वाला खाना खाएं।
रेडिएशन वाली जगह का पानी न पिएं। बोतल बंद या सुरक्षित पानी ही पिएं।
5. सरकारी सूचना पर ध्यान दें
रेडियो, मोबाइल, टीवी या सरकारी नोटिफिकेशन से लगातार अपडेट लेते रहें।
अफवाहों पर न जाएं, सिर्फ सरकारी आदेश माने
6. अपनी मेडिकल किट तैयार रखें
ज़रूरी दवाइयां, आयोडीन टैबलेट (अगर उपलब्ध हो) और प्राथमिक चिकित्सा का सामान पास रखें।
7. परिवार और बच्चों का ध्यान रखें
बच्चों को घबराने न दें।
उन्हें भी सुरक्षित स्थान पर रखें और रेडिएशन से बचाएं।
DGMO का मतलब है Director General of Military Operations। ये भारतीय सेना के ऑपरेशन्स शाखा (Military Operations Directorate) के प्रमुख होते हैं। DGMO भारतीय सेना के उन सबसे अहम अधिकारियों में से एक हैं जो देश की सीमाओं पर सैन्य गतिविधियों और ऑपरेशन्स की योजना बनाते हैं, उनका नियंत्रण करते हैं और निगरानी रखते हैं।
WhatsApp: +91 9914436629 | Name: Headline Hub हिन्दी DGMO के मुख्य कार्य: LOC (Line of Control) और अंतरराष्ट्रीय सीमा पर सेना की तैनाती और स्थिति की निगरानी। देश के अंदर और बाहर सैन्य ऑपरेशन्स की रणनीति तैयार करना। युद्ध और आपातकालीन स्थिति में सेना की तैयारियों का नेतृत्व करना। अन्य देशों के DGMO से संपर्क करना। जैसे भारत और पाकिस्तान के DGMO हॉटलाइन पर बातचीत करते रहते हैं, खासकर जब सीमा पर तनाव होता है। DGMO का रैंक:आमतौर पर DGMO लेफ्टिनेंट जनरल (Lieutenant General) रैंक के अधिकारी होते हैं। भारतीय सेना में DGMO का कार्यालय: इंटीग्रेटेड हेडक्वार्टर ऑफ डिफेंस स्टाफ (IHQ of MOD) में होता है, जो नई दिल्ली में है। DGMO (Director General of Military Operations) का इतिहास भारतीय सेना में DGMO पद की स्थापना 1947 में भारत की आज़ादी के बाद की गई थी, जब भारत ने अपनी सेना के स्वतंत्र सैन्य कमान और संरचना विकसित करनी शुरू की। पहले ये जिम्मेदारी ब्रिटिश अफसर संभालते थे, लेकिन धीरे-धीरे भारतीय अफसरों को ये जिम्मेदारियां दी गईं। 1950 के दशक में भारतीय सेना की कमान पूरी तरह भ...
Comments