DGMO का मतलब है Director General of Military Operations। ये भारतीय सेना के ऑपरेशन्स शाखा (Military Operations Directorate) के प्रमुख होते हैं। DGMO भारतीय सेना के उन सबसे अहम अधिकारियों में से एक हैं जो देश की सीमाओं पर सैन्य गतिविधियों और ऑपरेशन्स की योजना बनाते हैं, उनका नियंत्रण करते हैं और निगरानी रखते हैं।
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DGMO के मुख्य कार्य:
LOC (Line of Control) और अंतरराष्ट्रीय सीमा पर सेना की तैनाती और स्थिति की निगरानी।
देश के अंदर और बाहर सैन्य ऑपरेशन्स की रणनीति तैयार करना।
युद्ध और आपातकालीन स्थिति में सेना की तैयारियों का नेतृत्व करना।
अन्य देशों के DGMO से संपर्क करना। जैसे भारत और पाकिस्तान के DGMO हॉटलाइन पर बातचीत करते रहते हैं, खासकर जब सीमा पर तनाव होता है।
DGMO का रैंक:आमतौर पर DGMO लेफ्टिनेंट जनरल (Lieutenant General) रैंक के अधिकारी होते हैं।
भारतीय सेना में DGMO का कार्यालय:
इंटीग्रेटेड हेडक्वार्टर ऑफ डिफेंस स्टाफ (IHQ of MOD) में होता है, जो नई दिल्ली में है।
DGMO (Director General of Military Operations) का इतिहास
भारतीय सेना में DGMO पद की स्थापना 1947 में भारत की आज़ादी के बाद की गई थी, जब भारत ने अपनी सेना के स्वतंत्र सैन्य कमान और संरचना विकसित करनी शुरू की। पहले ये जिम्मेदारी ब्रिटिश अफसर संभालते थे, लेकिन धीरे-धीरे भारतीय अफसरों को ये जिम्मेदारियां दी गईं।
1950 के दशक में भारतीय सेना की कमान पूरी तरह भारतीय अफसरों के हाथ में आई और सेना में सैन्य ऑपरेशन्स के नियंत्रण और समन्वय के लिए DGMO का पद औपचारिक रूप से स्थापित किया गया।
प्रमुख घटनाओं में DGMO की भूमिका
1. 1962 भारत-चीन युद्ध — DGMO ने सेना की तैनाती, सीमाओं की सुरक्षा और ऑपरेशन्स की कमान का बड़ा हिस्सा संभाला।
2. 1965 और 1971 भारत-पाक युद्ध — 1971 के युद्ध में DGMO की भूमिका बेहद अहम थी। खासतौर पर पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) में सैन्य कार्रवाई की रणनीति बनाने और क्रियान्वयन में।
3. 1999 कारगिल युद्ध — DGMO ने LOC पर सैनिकों की तैनाती, ऑपरेशनल प्लानिंग और पाकिस्तान के DGMO से हॉटलाइन के ज़रिए संवाद में अहम भूमिका निभाई।
4. आतंकी हमलों के बाद सर्जिकल स्ट्राइक (2016) — उरी हमले के बाद भारत की तरफ से पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में की गई सर्जिकल स्ट्राइक को ऑपरेशनल रूप से DGMO ने ही लीड किया।
DGMO की हॉटलाइन बातचीत
1971 के युद्ध के बाद भारत और पाकिस्तान के DGMO के बीच हॉटलाइन की व्यवस्था की गई थी, ताकि LOC और अंतरराष्ट्रीय सीमा पर तनाव या झड़प की स्थिति में सीधा संवाद किया जा सके।
प्रमुख DGMO और उनकी भूमिका
1. लेफ्टिनेंट जनरल रणबीर सिंह
कार्यकाल: 2016
प्रमुख घटनाएँ:
उरी आतंकी हमला (सितंबर 2016): जम्मू-कश्मीर के उरी में सेना के कैंप पर जैश-ए-मोहम्मद के आतंकियों ने हमला किया, जिसमें 17 भारतीय जवान शहीद हुए।
सर्जिकल स्ट्राइक (29 सितंबर 2016): DGMO रणबीर सिंह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि भारतीय सेना ने पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में आतंकी लॉन्च पैड्स पर सर्जिकल स्ट्राइक की, जिसमें कई आतंकियों को मार गिराया गया। उन्होंने स्पष्ट कहा, "हमले की जगह और तारीख हम निर्धारित करेंगे" ।
2. लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चौहान
कार्यकाल: 2018–2019
प्रमुख घटनाएँ:
बालाकोट एयरस्ट्राइक (फरवरी 2019): पुलवामा आतंकी हमले के जवाब में भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के बालाकोट में जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी ठिकानों पर एयरस्ट्राइक की। उस समय DGMO अनिल चौहान थे, जिन्होंने ऑपरेशन की योजना और समन्वय में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई ।
3. लेफ्टिनेंट जनरल परमजीत सिंह
कार्यकाल: 2019–2020
प्रमुख घटनाएँ
भारत-चीन सीमा तनाव: लद्दाख क्षेत्र में भारत और चीन के बीच बढ़ते तनाव के दौरान DGMO परमजीत सिंह ने सैन्य तैयारियों और रणनीतियों का नेतृत्व किया।
सीमा पर स्थिति की निगरानी: उन्होंने नियंत्रण रेखा (LOC) और वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर स्थिति की निगरानी और समन्वय सुनिश्चित किया।
4. लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई
कार्यकाल: 2024–वर्तमान
प्रमुख घटनाएँ:
मणिपुर दौरा (फरवरी 2025): DGMO राजीव घई ने मणिपुर का दौरा किया और भारत-म्यांमार सीमा पर सुरक्षा और सीमा प्रबंधन की स्थिति का जायजा लिया। उन्होंने राज्यपाल और वरिष्ठ अधिकारियों से मुलाकात कर बुनियादी ढांचे और सरकारी दृष्टिकोण पर चर्चा की ।
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